
सिद्धि खुद को अर्थ की गिरफ्त से आजाद करके बाथरूम में जैसे ही जाने लगती है तभी उसे अपने पीछे से दो हाथ अपने पेट पर महसूस होते हैं । अर्थ सिद्धि को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए कहता है , " नाराज़ हो मुझसे जान । "
सिद्धि अर्थ की बात का कोई जवाब नहीं देती ओर खुद को छुड़ाते हुए कहती है , " मैं भला कौन होती हूं जो अर्थ रायचंद , माफिया किंग और cruel बिजनेसमैन से नाराज़ हो सकूं। मेरी कहां इतनी औकात । " बोलकर खुद को छुड़ाने लगती है ।

Write a comment ...