
अगली सुबह ,
खिड़की से आती सूरज की किरने सीधे अर्थ के चेहरे पर पड़ रही थी जिससे वो कसमसाकर अपने चेहरे को सिद्धि के पेट पर और दसा देता है और फिर से सो जाता है । आज कई दिनों बाद वो इतने सुकून से सोया था । सिद्धि के जाने के बाद तो वो रात भर एक पल के लिए भी नहीं सोता था । लेकिन आज वो पूरे 8 घंटे सोया था , वो भी बिना एक बार भी नींद खुले । कुछ देर बाद अर्थ अपने आंखें बंद किए हुए ही अंगड़ाई लेता है तो उसे अपना फेस किसी सॉफ्ट चीज पर महसूस होता है जिससे वो झट से अपनी आँखें खोलता है । खुद को सिद्धि के इतने करीब देखकर वो झट से बेड से उतर जाता है ।

Write a comment ...